The खैट पर्वत- उत्तराखंड का परीलोक | परियों का निवास स्थान


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आज मै आपको ऐसे पर्वत के बारे में बताने जा रहा हु,जो अपनी सुंदरता और रहस्यों के लिए  बिश्वबिख्यात है| और साथ ही साथ लोगो के आस्था का भी केंद्र बन चूका है |  यह पर्वत उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है जोकि देहरादून से सटा  हुआ है।यहाँ के ग्रामीणों का ऐसा मानना है की इस पर्वत पर अप्सराये / परिया निवास करती है । उन्हें आज भी यहां अपनी आँखों से  देखा जा सकता है। गढ़वाल क्षेत्र में, वन देवियों को 'आंछरी -मंतरी ' के नाम से जाना जाता है। यहाँ के लोग बताते है कि जो उन्हें एक बार भा गया | वे उसे अपने साथ ले जाती है अपने लोक | देवलोक से भूलोक तक भ्रमण  इन परियो को यहाँ के लोगो के अनुसार वनदेवी के रूप में पूजा जाता है ।एक  शोध के अनुसार - विज्ञानिको का भी ऐसा मानना है की इस क्षेत्र में शक्तियों का निवास है। उत्तराखंड के लोग इस पर्वत के बारे में अच्छे से जानते है | यह पर्वत टिहरी गढ़वाल जिले के फेगुलीपट्टी के थात गॉव की सीमा से 10,000 फिट की ऊंचाई पर स्थित है | पर्वत की सुंदरता देखने लायक है।ऊँचे-ऊँचे बादलो से घिरे हुए पहाड़| इस  पर्वत पर दो मंदिर स्थित है | एक रागस देवता का और दूसरा माता का | लोगो का ऐसा मानना है की आछरिया रोज रात को 12:00 pm के बाद माता की पूजा लड़ने आती है |

ये  तो आप जानते ही हो की खैट पर्वत समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित  है। खैट पर्वत  की अलग - अलग  नौ श्रंखलाए है ।जिसमे से हर एक में एक  परी वास करती है | इस पर्वत की आकृति गुम्बद जैसी है ।इसलिए यह विशाल मैदान में मनमोहक दिखाई देता है | ऐसा कहा जाता है की ये नौ देविया बहने है |  जो आज भी यहां अदृश्य शक्तियों के रूप में निवास करते हैं।
पुराने समय से ही इन बुग्यालों में चिल्लाना,गाना ,चटक रंग के कपडे पहन कर जाना , वाद्य यन्त्र बजाना और प्रकृति के बिरुध्ध कोई काम करना प्रतिबंधित है | अगर आप यहाँ जाना चाहते हो तो आपको नियम-संयम और वाइन ,चिकेन वगेरा से दूर रहना होगा कुछ दिनों के लिए

कैसे जाये परियो की नगरी- खैट पर्वत, उत्तराखंड Delhi या किसी अन्य सहर से 

Main address- फेगुलीपट्टी के थात गॉव ,टिहरी गढ़वाल ,उत्तराखंड |  यह दिल्ली से मात्र  8-12 घंटे की दुरी पर है | आप यहाँ अपनी कार व बस से आसानी से जा सकते है | और आप चाहो तो जहाज से भी जा सकते हो पर उसको लिए आपको Jolly Grant Airport, Dehradun landing करनी पड़ेगी और फिर कार या बस से |  यहां से पैदल परियों की नगरी तक यात्रा करनी पड़ती है।

खैटखाल मंदिर को रहस्यों का केंद्र माना जाता है



यह मंदिर थात गाँव से पांच किलो मीटर की दुरी पर है | मंदिर में परियो की पूजा होती है और गर्मियों में यहाँ मेला भी लगता है| गाँव वालो का मानना है की ये परिया उनकी रक्षा भी करती है |

ये ना करे वहां (खैन्ट पर्वत पर )

परिया आप से हो सकती है नाराज अगर आप ये हरकत करते हो तो जैसे की - तेज संगीत बजाना ,शोर मचाना ,चमकीले/ चटकीले कपडे पहन के जाना आदि | इसलिए ये बिशेष ध्यान रखने योग्य बाते है | लोगगाथाओ के अनुसार जीतू बगड्वाल की कहानी भी बहुचर्चित है | कि जीतू की बांसुरी की धुन सुन परिया आकर्षित हो गई थी और ले गई थी उसे अपने लोक |

क्या है गुफा का रहस्य  

यहाँ एक ऐसी गुफा भी है जिसका अंत ढुँढ  पाना किसीके बस की बात नहीं है | इस गुफा को देवादि देव महादेव से भी जोड़ा जाता है। कि उन्होंने इन परियो की मदद से  शुंभ निशुंभ का वध किया था |

स्वर्ग से काम नहीं है ये पर्वत

उत्तराखंड की हरी भरी वादियों में बसा ये पर्वत अति मनमोहक और दिलचस्प है |
एक बार जरूर जाइये यहाँ | यह उत्तराखंड सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त टूरिस्ट प्लेस है |

2 comments:

  1. Really wonderful article. Thanks for sharing such valuable information with us. I loved to read this post. Please keep going with such good articles.

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